Thursday, 22 September 2011
Tuesday, 6 September 2011
क्या याद करोगे ?
कभी होगा मुक़र्रर * वक़्त जब,
इन लम्हों में फिर,
क्या याद करोगे मुझे,
*दुहरायेगा/ repeat
इन्तिसार * होगी चांदनी जब,
यूँ ही बरसेगा नूर,
याद कर मुझे फिर,
क्या तुम भी मुस्कुराओगे,
*बिखरना/ scatter
होंगे परस्तार * बहुत,
तुम्हारी झलक को तरसेंगे,
याद कर मेरी चाहत फिर,
क्या दो पल सुकून पाओगे,
*lover
होगी रोशनी हर ओर,
निशात *-ऐ-बारिश होगी,
भीगा कर पलकें फिर,
क्या मेरे आगोश को तरसोगे,
*खुशियाँ
होंगी जब बातें कभी,
बयान-ऐ-वक़्त होगा,
नाम लेकर मेरा फिर,
क्या तुम भी इतराओगे,
होगा कभी तन्हाँ मंज़र जब,
एहसासों की ख़ामोशी होगी,
मेरी कमी में फिर,
क्या एक रात गुजारोगे,
सफ़र कर लम्बा ये,
कभी जब थक जाओगे,
बैठ फिज़ा के संग फिर,
क्या महसूस मुझे कर पाओगे,
होगी महक यादों की,
तस्वीरों से गुफ्तगू होगी,
मेरी याद में फिर,
क्या नज़म तुम भी एक लिख जाओगे,
सर्वाधिकार सुरक्षित !
नेहा सेन
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