Tuesday, 17 July 2012

'अंतर्मन'



सामान है बाहर बहुत,
मगर अन्दर एक खाली कमरा है,
शोर गुल के इस मोहल्ले में,
सुनसान सा एक कोना है,
झांक कर देखा झरोखे से,
हर घर रोशन दीखता है,
मगर मेरे इस घर में,
बिजली का तार कुछ पुराना है,
है उसी सड़क पर घर मेरा भी,
जहाँ सदियों से मैखाना है,
मगर मेरे इस घर में,
तनहा मेहमान पुराना है,
है हमदम एक मेरा भी,
ख़त अक्सर लिखा करता है,
कहता है इस बार आएगा,
कि हर बार भूल जाया करता है !! 

- नेहा सेन 

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