tag:blogger.com,1999:blog-5988939547205303817.post6609260178964404660..comments2016-03-14T10:19:30.770-07:00Comments on "Safa ki Zubaan": 'मेरे मोतियों का संदूक'Neha Senhttp://www.blogger.com/profile/02359175310349174160noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5988939547205303817.post-48259885870680796122012-07-15T08:01:15.844-07:002012-07-15T08:01:15.844-07:00सुंदर लब्जों में अहसासों को पिरोया है आपने .....
ब...सुंदर लब्जों में अहसासों को पिरोया है आपने .....<br />बहुत खूब ....शिवनाथ कुमारhttps://www.blogger.com/profile/02984719301812684420noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5988939547205303817.post-45411063960599637662012-06-27T04:20:28.871-07:002012-06-27T04:20:28.871-07:00उम्दा अभीव्यक्ति नेहा जी एवं मनीष जी
आपके इस चित्...उम्दा अभीव्यक्ति नेहा जी एवं मनीष जी <br />आपके इस चित्र ने हृदय में एक टीस जगा दी '' बचपन में हैं लोग इस घास (इससे गढ़वाली में अमेडू कहते हैं) के साथ बहुत खेले हैं हमलोग, वाह क्या शव्द चुने हैं आप ने इन्होने बांध के रख दिया समय को ........<br />रखा है बांध कर मैंने,<br />कुछ लम्हों के सूखे पत्तों को,<br />और हैं कुछ तसवीरें,<br />बीते पलों को बयान करती,<br />बस इनको घूरा करता हूँ मैं,<br /><br />सांसें छोड़ जाऊँगा मैं अपनी,<br />रूह से नाता कैसे तोड़ दूं,<br />रखूँगा महफूज़ इन्हें में जन्नत में,<br />खुदा से ज़िन्दगी का सौदा किया है,<br />कैसे तुझसे नाता तोड़ दूँ मैं..राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'https://www.blogger.com/profile/16172401392784938069noreply@blogger.com