Tuesday, 3 January 2012

ये दिल उदास बहुत है





वजह बहुत है मुस्कुराने की,
ये दिल फिर भी उदास बहुत है,

महफ़िलें बहुत है ज़माने में,
ये रूह फिर भी तन्हा बहुत है,

रंगों की कमी कहाँ कुदरत को,
ये मन फिर भी बेरंग बहुत है,

स्याही बहुत है कलम में,
ये कागज़ मगर बिखरे बहुत हैं,

कहने को बहुत कुछ है लबों पर,
ये लफ्ज़ फिर भी खामोश बहुत है, 




सामान बहुत है इस कमरे में,
हर कोना फिर भी खाली बहुत है, 

मुहब्बत तो बहुत है हमें,
गिल्ले मगर दरमियान बहुत है, 

कितना कुछ है यहाँ,
तुम बिन मगर सब अधुरा बहुत है.. 


- नेहा सेन 




8 comments:

  1. kya baat hai ye lines toh meri life se bhot milti julti hai

    ReplyDelete
  2. ye lines toh meri life se bhot milti julti hai neha................. nice line

    ReplyDelete
  3. reading U first time..."saaman bahut h is kamre me..,hr kona fir bhi khali bahut h..."...

    very nice...very deep...very clear...


    carry on...
    my wishes r always wid U

    ReplyDelete
  4. thanks a lot Vikas :)


    Thank you so much Vijay Kanwal ji ... Just tried a bit to express the best way ! :)

    ReplyDelete
  5. बहुत खूबसूरत, बधाई.
    .
    कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" पर भी पधारें, अपनी राय दें, आभारी होऊंगा.

    ReplyDelete
  6. बहुत ही बढ़िया कविता लिखी है नेहा... ...ऐसे ही लिखती रहो ...

    http://meriantardrishti.blogspot.in/ ये मेरा ब्लॉग है इसे भी १ बार देखना ...thanks

    ReplyDelete
  7. Thank you so much friends :) :)

    ReplyDelete