Monday 12 March 2012

'अपने लिए तो सभी जीते हैं'


अपने लिए तो सभी जीते हैं,
दुसरो के लिए जियो तो जीवन है !!


मंदिर तो सभी जाते हैं,
कोई मन रोशन करो तो जीवन है !!

अपनी फ़िक्र तो सभी करते हैं,
उनकी मुस्कुराहटों पर जीयो तो जीवन है !! 

अपने ज़ख़्म तो सभी गिनते हैं, 
किसी का मरहम बन जाओ तो जीवन है !!

अपना घर तो सभी सजाते हैं,
किसी झोपड़ी पर छत लगाओ तो जीवन है !!

शौहरत तो सभी कमाते हैं,
थोड़ी मुहोब्बत भी कमाओ तो जीवन है !!

वक़्त तो हम रोज़ गुजारते हैं,
कुछ पलों को संजोय लें तो जीवन है !! 


- नेहा सेन 
सर्वाधिकार सुरक्षित ! 

6 comments:

  1. wakayee......tabhi jeevan hai......

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  2. बहुत सुंदर..................
    यूँ जिए तो जिए वरना वो जीना भी क्या जीना.....................

    अनु

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  3. सही कहा आपने अपने लिए तो सभी जीते हैं कभी दूसरों के लिए जीकर देखो ...
    दूसरों की जिंदगी में यदि हमारी वजह से थोड़ी सी मुस्कुराहट घुल जाए तो इससे अच्छा क्या हो सकता है ...
    सुंदर रचना !!

    आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा ..

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