'जाने कौन हो तुम मेरे'
जाने कौन हो तुम मेरे,
हो अजनबी चेहरा कोई,
या मेरे लिए ही तुम आये हो,
हो बूँद सा एहसास कोई,
रूह को छु जाते हो,
धुंध में छुपी परछाई सा,
धीमे से करीब आते हो,
कहते कुछ नहीं तुम,
पर बातें कई कर जाते हो,
चुपके से यूँ ही,
धुन अक्सर सुना जाते हो,
मुस्कुरा कर यूँ ही,
दूरियां फन्हा कर जाते हो,
खामोश नज़रो से यूँ ही,
हमें अपना कह जाते हो,
जाने हो परछाई ख्वाबो की,
या खुली पलकों की हकीक़त हो,
कहते कुछ नहीं तुम,
पर सवाल हज़ार छोड़ जाते हो,
जाने कौन हो तुम मेरे,
रूह से नाता निभा जाते हो !
- नेहा सेन
काफी सुंदर रचना ...
ReplyDeleteबधाई !!
बहुत बहुत सुन्दर रचना नेहा......
ReplyDeleteअनु